The Author RashmiTrivedi Follow Current Read धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 1 By RashmiTrivedi Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ४२ शाम तक सब कुछ हो जाने के बाद सब अपने अपने कमरे में जाकर आराम... Maryada of a girl........ In the village of Rajapur, nestled between rolling hills... आई कैन सी यू - 37 अब तक हम ने पढ़ा की रोवन ने अपनी आप बीती बताई के किस तरह उसे... आखेट महल - 2 दोनयी कोठी पर आज सुबह से ही गहमा-गहमी थी। इस कोठी को आबाद हु... Love Contract - 25 - (Last Part) सांवरी : दीदी मैं आज विराज को सारी सच्चाई बता दूंगी ... मुझे... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by RashmiTrivedi in Hindi Horror Stories Total Episodes : 23 Share धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 1 (15) 7k 14.2k 2 जनवरी 1995 की एक सुबह... उत्तरी गोवा में स्थित वागातोर बीच की सुनहरी रेत पर बैठी सत्रह वर्षीय क्रिस्टीना समुंदर पर छाई धुंध को निहार रही थी। सफ़ेद रंग की सुंदर सी लॉन्ग फ्रॉक पहने,उस पर काले रंग की शॉल ओढ़े वह सफ़ेद रंग की चादर पर बैठी थी। हाथों में अपनी डायरी और कलम लिए वह अभी भी धुंध को इस तरह निहार रही थी,जैसे उसे शब्दों में बांधकर अपने डायरी में उतारना चाह रही हो! समुंदर किनारे पर ही ऊँचे ऊँचे ताड़ के पेड़ों के बीच बना उसका घर "पैराडाइस विला" भी धुंध में डूब चुका था। एक समय "पैराडाइस विला" अपने नाम की तरह ही किसी स्वर्ग से कम नहीं था। सफ़ेद रंग का यह सुंदर सा विला वागातोर बीच की शान हुआ करता था। जहाँ बाकी सभी बड़ी इमारतें और बंगले होटल में तब्दील हो चुके थे,वही जूडिथ अल्बर्टो ने वर्षों से अपने पुश्तैनी घर को सहेजकर रखा था। लेकिन क्रिस्टीना के पापा जूडिथ अल्बर्टो की मौत के बाद यह विला अब किसी खाली इमारत जैसा लगता था। क्रिस्टीना अक्सर सुबह सवेरे वागातोर बीच पर टहलने आया करती थी। विला के पीछे वाला छोटा दरवाज़ा विशाल समुंदर की ओर खुलता था। उसी दरवाज़े से होकर क्रिस्टीना आज सुबह भी बीच पर आई थी। वैसे भी घर में कोई नहीं था। क्रिस्टीना की मम्मी जेनी अपने किसी फ़्रेंड की शादी के लिए गोवा से बाहर गयी थी। जनवरी की उस ठंडभरी सुबह में पूरे वागातोर बीच पर कोई भी नज़र नहीं आ रहा था। बहुत देर तक धुंध को निहारने के बाद उसने अपनी डायरी में लिखना शुरू किया... धुंध ही धुंध है हर तरफ़, धुंध से घिरी है वादियाँ, धुंध में डूबा रास्ता, धुंध से सनी है पहाड़ियाँ.... धुंध में डूबा यह विशाल समुंदर, धुंध से सनी इसकी लहरें... धुंध में... उसकी कलम से शब्द जैसे अपने आप डायरी के कागज़ पर उतर रहे थे। तभी अचानक उसे अपने पीछे किसी के होने का आभास हुआ। इससे पहले की वह मुड़कर देख पाती की यह अनजान आगंतुक कौन है, उसे अपने गले में एक फांस महसूस हुआ। उसके हाथों से डायरी और कलम छूटकर नीचे गिर गए! वह अपने दोनों हाथों से उस फांस को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उस पर हमला करने वाला उससे कई गुना ताक़तवर था। वह छटपटाती रही! उसने अपना पूरा ज़ोर लगाकर पीछे मुड़ने की कोशिश की,ताकि वह हमलावर को देख सकें, पर अफ़सोस की उसकी सारी कोशिशें नाकाम होती रही! उसकी आत्मा उसके शरीर को बस छोड़ने ही वाली थी। उसकी आंखें जैसे अभी फटकर बाहर आने को ही थी कि उसकी नज़र हमलावर के एक हाथ पर बने टैटू पर पड़ी। वह एक समुद्री लुटेरों का जहाज़ का टैटू था। टैटू देखने के बाद उसने अपनी आँखों को बंद कर लिया। और बस चंद मिनिटों की छटपटाहट के बाद क्रिस्टीना ने तड़पते हुए अपना दम तोड़ दिया! उसके हमलावर ने उसके निर्जीव शरीर को उठाया और वह पैराडाइस विला की ओर बढ़ गया। छोटे दरवाज़े से होते हुए वह विला के सामने वाले आंगन में पहुँचा। आंगन में एक छोटी सी बगिया थी,जिसमें बीचों बीच मिट्टी का ढ़ेर लगा हुआ था। आसपास कुछ पौधों की कुछ क्यारियाँ थी। शायद किसीने बागीचे में काम कर यूँ ही मिट्टी छोड़ दी थी। उसने इधर उधर नज़र दौड़ाई,विला का बड़ा सा गेट बंद था और बाहर सुबह सवेरे किसी की हलचल भी नहीं थी। उसने क्रिस्टीना के शरीर को एक तरफ़ नीचे रखा और वह बगिया के बीचों बीच वाले उस मिट्टी के टीले को पास ही पड़े कुल्हाड़ी से खोदने लगा। काफ़ी गहरे तक उसने एक गढ्ढा खोदा और क्रिस्टीना को उस गढ्ढ़े में लाकर सुला दिया। फिर दौड़कर पीछे वाले रास्ते से होता हुआ वह वापिस बीच पर पहुँचा। जल्दी जल्दी उसने क्रिस्टीना की डायरी,कलम, शॉल और वह सफ़ेद चादर जिसपर वह बैठी थी,सब कुछ इकट्ठा किया और सामने आंगन में आकर उसी गढ्ढ़े में क्रिस्टीना की लाश के साथ ही सब कुछ दफ़न कर दिया। अपना काम ख़त्म कर वह विला के बड़े गेट से होते हुए बाहर चला गया। ग्यारह वर्षों बाद.... दिसंबर 2006 की सुबह.. एक शानदार काले रंग की कार आकर पैराडाइस विला के सामने रुकती है। कार का विंडो मिरर खुलता है और अंदर बैठी एक साठ वर्षीय महिला अपने सनग्लासेस उतारकर विला को निहारती है। सामने ड्राइवर के पासवाली सीट पर बैठा एक आदमी उस औरत को देखते हुए कहता है,"यही है पैराडाइस विला! आय एम वेरी शुअर कि यह आपके पोते को ज़रूर पसंद आएगा! आप जब कहेंगी इस विला को आपके लिए रेडी कर दूँगा। आप चाहें तो अभी अंदर जाकर देख सकती हैं!" उस महिला ने हाथ उठाते हुए कहा,"नहीं, कोई ज़रूरत नहीं है! बस इसे बीस दिसंबर के पहले रेडी कर लेना। उस दिन हमारे पोते क्रिस का बर्थडे है। यह विला हम उसे गिफ़्ट में देना चाहते हैं।" सामने बैठे व्यक्ति के चेहरे पर ख़ुशी साफ़ साफ़ झलक रही थी। उसने आगे कहा,"आप बिल्कुल टेंशन मत लीजिये, मैं सब देख लूँगा! आपने एक बहुत अच्छी डील की है। अच्छी बात है कि आपने अफवाहों को नजरअंदाज कर इस विला को खरीदने का सोचा। आपके बारें में जो सुना था,वही पाया!" उस महिला ने सामने बैठे व्यक्ति की सारी बात सुनी,लेकिन कोई जवाब नहीं दिया, बस ड्राइवर से कहा,"ड्राइवर, गाड़ी ऑफिस की तरफ़ घूमा लो!" गाड़ी ने टर्न लिया और वह आगे बढ़ गई। अचानक तभी नजाने कहाँ से धुंध की एक चादर सी आकर पैराडाइस विला पर छा गई... क्रमशः ... रश्मि त्रिवेदी › Next Chapter धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 2 Download Our App